वेग में परिवर्तन की दर
भौतिक विज्ञान में गति से संबंधित अध्ययन में यह आवश्यक होता है कि किसी वस्तु के वेग में होने वाले परिवर्तन को समझा जाए। जब कोई वस्तु गतिशील होती है, तो उसका वेग समय के साथ परिवर्तित हो सकता है — यह परिवर्तन ही गति की गहराई से व्याख्या करता है। वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण (Acceleration) कहा जाता है। यह एक सदिश राशि है, क्योंकि इसमें परिमाण के साथ दिशा का भी महत्व होता है।
त्वरण को गणितीय रूप से इस प्रकार परिभाषित किया जाता है:
त्वरण = (अंतिम वेग – प्रारंभिक वेग) / समय
इस सूत्र से यह स्पष्ट होता है कि किसी निश्चित समय अंतराल में वेग कितना बदला है। यदि यह परिवर्तन धनात्मक हो, अर्थात् वेग बढ़ रहा हो, तो उसे धनात्मक त्वरण कहते हैं। यदि वेग घट रहा हो, तो यह ऋणात्मक त्वरण कहलाता है, जिसे अक्सर मंदन (Retardation) भी कहा जाता है।
त्वरण की SI इकाई होती है: मीटर प्रति सेकंड² (m/s²)। यह दर्शाती है कि हर सेकंड में वेग में कितने मीटर प्रति सेकंड की वृद्धि या कमी हो रही है। उदाहरण स्वरूप, यदि किसी वाहन का वेग प्रति सेकंड 2 m/s से बढ़ता है, तो उसका त्वरण 2 m/s² होगा।
जब किसी वस्तु की गति एकसमान नहीं होती, तब उसके वेग में समय-समय पर परिवर्तन होता है। ऐसे में उस वस्तु पर कोई बल कार्य कर रहा होता है, जो उसके वेग को परिवर्तित कर रहा होता है। न्यूटन का द्वितीय नियम यही स्पष्ट करता है कि किसी वस्तु पर लगने वाला बल, उसके द्रव्यमान और त्वरण का गुणनफल होता है।
बल = द्रव्यमान × त्वरण
यदि किसी वस्तु पर कोई शुद्ध बल नहीं लगता, तो वह या तो विराम अवस्था में रहती है या एकसमान गति से चलती रहती है। लेकिन जैसे ही उस पर बल कार्य करता है, वेग में परिवर्तन आरंभ हो जाता है और त्वरण उत्पन्न होता है।
वेग में परिवर्तन की दर को समय बनाम वेग ग्राफ के माध्यम से भी प्रदर्शित किया जा सकता है। इस ग्राफ में रेखा की ढाल (slope) वस्तु के त्वरण को दर्शाती है। यदि ग्राफ एक सीधी रेखा हो, तो त्वरण एकसमान होता है। यदि ग्राफ वक्र हो, तो त्वरण असमान होता है, और इस स्थिति में तात्क्षणिक त्वरण की अवधारणा को अपनाया जाता है।
वेग में परिवर्तन की दर की समझ से ही यह निर्धारित किया जा सकता है कि कोई वाहन कितनी तेजी से गति पकड़ सकता है या किसी रॉकेट का प्रक्षेपण कितना प्रभावी है। विज्ञान, यांत्रिकी, एयरोस्पेस और दैनिक जीवन के अनेक क्षेत्रों में त्वरण का विश्लेषण अत्यंत आवश्यक होता है।