गति का वर्णन (Gati ka Varnan)
हमारे चारों ओर अनेक वस्तुएँ या तो स्थिर होती हैं या गति में होती हैं। जब कोई वस्तु समय के साथ अपनी स्थिति बदलती है, तो हम कहते हैं कि वह गति कर रही है। उदाहरण के लिए, उड़ता हुआ पक्षी, बहती हुई नदी, दौड़ती हुई कार और चलते हुए लोग, सभी गति के उदाहरण हैं। वहीं, एक खड़ी दीवार या टेबल जैसी वस्तुएँ गति नहीं कर रही होतीं और उन्हें हम विरामावस्था में मानते हैं।
गति को समझने के लिए हमें यह जानना ज़रूरी है कि यह सापेक्ष (relative) होती है। कोई वस्तु एक व्यक्ति को गतिशील दिख सकती है, जबकि दूसरा व्यक्ति उसी वस्तु को स्थिर देख सकता है। जैसे एक चलती बस में बैठा यात्री पास के पेड़ों को पीछे की ओर जाते हुए देखता है, जबकि बाहर खड़ा व्यक्ति बस और यात्रियों को आगे की ओर गति करते हुए देखता है। यह दिखाता है कि गति का अनुभव देखने वाले की स्थिति पर निर्भर करता है।
कुछ वस्तुएँ सरल रेखा में गति करती हैं, जैसे एक सीधी सड़क पर दौड़ती कार। कुछ वस्तुएँ वृत्तीय पथ पर गति करती हैं, जैसे पंखा या पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर घूमना। कुछ वस्तुएँ घूर्णन (rotation) करती हैं, जैसे घूमता हुआ टॉप। वहीं, कुछ कंपन (vibration) करती हैं, जैसे मोबाइल फोन का कंपन करना।
गति के प्रकार को समझने के लिए हम विज्ञान में ग्राफ और समीकरणों का प्रयोग करते हैं। इससे हमें यह जानने में मदद मिलती है कि कोई वस्तु कितनी दूरी तय कर रही है, कितनी तेजी से जा रही है और कब रुक रही है।
वास्तव में, गति न केवल हमारे पर्यावरण की सामान्य घटना है, बल्कि इसका सही ज्ञान हमें आपदाओं से बचा सकता है और तकनीक के विकास में सहायता करता है। जैसे, नियंत्रित गति से मशीनें चलती हैं और अनियंत्रित गति से तूफान या बाढ़ आती है।